तुरत बढ़ायो चीर।
भक्त कारण रूप नरहरी‚
धर्यो आप सरीर।
हिरनकुश मारि लीन्हों‚
धर्यो नाहिन धीर।
हरी तुम हरो जन की भीर।
बूड़तो गजरात राख्यौ‚
कियौ बाहर नीर।
दासी मीरा लाल गिरधर‚
चरण कंवल पर सीर।
हरी तुम हरो जन की भीर।
बूड़तो गजरात राख्यौ‚
कियौ बाहर नीर।
दासी मीरा लाल गिरधर‚
चरण कंवल पर सीर।
हरी तुम हरो जन की भीर।
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