Hasya Vyang Hindi Poem वेदना - बेढब बनारसी

Hasya Vyang Hindi Poem वेदना – बेढब बनारसी

आह वेदना, मिली विदाई

निज शरीर की ठठरी लेकर
उपहारों की गठरी लेकर
जब पहुँचा मैं द्वार तुम्हारे
सपनों की सुषमा उर धारे
मिले तुम्हारे पूज्य पिताजी
मुझको कस कर डाँट बताई
आह वेदना, मिली विदाई

प्रची में ऊषा मुस्काई
तुमसे मिलने की सुधि आई
निकला घर से मैं मस्ताना
मिला राह में नाई काना
पड़ा पाँव के नीचे केला
बची टूटते आज कलाई्
आह वेदना, मिली विदाई

चला तुम्हारे घर से जैसे
मिले राह में मुझको भैंसे
किया आक्रमण सबने सत्वर
मानों मैं भूसे का गट्ठर
गिरा गटर में प्रिये आज
जीवन पर अपने थी बन आयी
आह वेदना, मिली विदाई

अब तो दया करो कुछ बाले
निहीं संभलता हृदय संभाले
शांति नहीं मिलती है दो क्षण
है कीटाणु प्रेम का भीषण
लव का मलहम शीघ्र लगाओ
कुछ तो समझो पीर पराई
आह वेदना, मिली विदाई

~ बेढब बनारसी

आपको बेढब बनारसी जी की यह कविता “वेदना” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

Purple Day: Date, History, Significance, Quotes & Epilepsy Facts

Purple Day: Date, History, Significance, Quotes & Epilepsy Facts

Purple Day: It is observed on March 26 to raise awareness about epilepsy and to …