हिमालय से भारत का नाता - गोपाल सिंह नेपालीहिमालय से भारत का नाता - गोपाल सिंह नेपाली

हिमालय से भारत का नाता: गोपाल सिंह नेपाली

Currently, we face confrontation on our northern border. China from across Himalaya is becoming aggressive. Here is an old and famous poem of Gopal Singh Nepali about the relationship of Himalaya with India.

गोपाल सिंह नेपाली (Gopal Singh Nepali) का 11 अगस्त 1911 को बेतिया, पश्चिमी चम्पारन (बिहार) में जन्म हुआ। गोपाल सिंह नेपाली को हिन्दी के गीतकारों में विशेष स्थान प्राप्त है, इसीलिए उन्हें, ‘गीतों का राजकुमार’ कहा गया है। फिल्मों के लगभग 400 गीत लिखे।

प्रकाशित कृतियों में ‘उमंग’, ‘पंछी’, ‘रागिनी’, ‘पंचमी’, ‘नवीन’ व ‘हिमालय ने पुकारा’ प्रमुख हैं, इसके अतिरिक्त प्रभात, सुधा, रतलाम टाइम्व व योगी, साप्ताहिकद्ध का संपादन भी किया। श्रृंगार व प्रणव गीतों से श्रोताओं व पाठकों का मन मोह लेने वाले ‘नेपाली’ की कलम ने राष्ट्र-प्रेम के गीतों से युवाओं में देशभक्ति के भावों का भरपूर संचार किया।

1963 में मात्र 52 वर्ष की उम्र में भागलपुर रेलवे स्टेशन पर गोपाल सिंह नेपाली का देहांत हो गया।

हिमालय से भारत का नाता: गोपाल सिंह नेपाली

इतनी ऊँची इसकी चोटी कि सकल धरती का ताज यही
पर्वत से भरी धरा पर केवल पर्वतराज यही
अंबर में सिर, पाताल चरण
मन इसका गंगा का बचपन
तन वरण वरण मुख निरावरण
इसकी छाया में जो भी है, वह मस्तक नहीं झुकाता है
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है

अरूणोदय की पहली लाली इसको ही चूम निखर जाती
फिर संध्या की अंतिम लाली इस पर ही झूम बिखर जाती
इन शिखरों की माया ऐसी
जैसे प्रभात, संध्या वैसी
अमरों को फिर चिंता कैसी
इस धरती का हर लाल खुशी से उदय अस्त अपनाता है
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है

हर संध्या को इसकी छाया सागर सी लंबी होती है
हर सुबह वही फिर गंगा की चादर सी लंबी होती है
इसकी छाया में रंग गहरा
है देश हरा, प्रदेश हरा
हर मौसम है, संदेश भरा
इसका पद तल छूने वाला वेदों की गाथा गाता है
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है

जैसा यह अटल, अडिग अविचल, वैसे ही हैं भारतवासी
है अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी
कोई क्या हमको ललकारे
हम कभी न हिंसा से हारे
दुःख देकर हमको क्या मारे
गंगा का जल जो भी पी ले, वह दुःख में भी मुसकाता है
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है

टकराते हैं इससे बादल, तो खुद पानी हो जाते हैं
तूफान चले आते हैं, तो ठोकर खाकर सो जाते हैं
जब जब जनता को विपदा दी
तब तब निकले लाखों गाँधी
तलवारों सी टूटी आँधी
इसकी छाया में तूफान, चिरागों से शरमाता है
गिरिराज, हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है

गोपाल सिंह नेपाली

आपको गोपाल सिंह नेपाली यह कविता “हिमालय से भारत का नाता” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

Check Also

English Poem about Thanksgiving: The Pumpkin

The Pumpkin: English Poem to read on Thanksgiving Day Festival

The Pumpkin: John Greenleaf Whittier uses grandiose language in “The Pumpkin” to describe, in the …