Hindi Poem About Eid Celebration जश्ने ईद मनाऊँ कैसे

जश्ने ईद मनाऊँ कैसे: Hindi Poem On Eid Celebration

जश्ने ईद मनाऊँ कैसे: Hindi Poem On Eid Celebrationईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं। जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है। मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है।

जश्ने ईद मनाऊँ कैसे: सुरेन्द्र कुमार ‘अभिन्न’ Poem On Eid

अबके ईद मनाऊँ कैसे
जश्ने ईद मनाऊँ कैसे

दहल गए है कलेजे सब के,
शोर धमाकों का सुन सुन कर
हैरान हूँ मै – क्यों नही मारता,
ये बम हिन्दुओं को चुन चुन कर

वहाँ मुस्लमान भी मरते है
ये बम भेदभाव नही करते है
शोर धमाकों का गूँज रहा है
पटाखे फिर मै चलाऊँ कैसे

अबके ईद मनाऊँ कैसे
जश्ने ईद मनाऊँ कैसे

गले लगो गर लग सको
भुलाके मजहब ईमान सभी
न हिंदू कहो न मुस्लिम कहो
बन जाओ जरा इंसान सभी

सब भारत माँ की संतान है
ये देश तो बड़ा महान है

सदभावना की अजान सुनाऊँ कैसे

अबके ईद मनाऊँ कैसे
जश्ने ईद मनाऊँ कैसे

~ सुरेन्द्र कुमार ‘अभिन्न’

ईद का पर्व खुशियों का त्योहार है, वैसे तो यह मुख्य रूप से इस्लाम धर्म का त्योहार है परंतु आज इस त्योहार को लगभग सभी धर्मों के लोग मिल जुल कर मनाते हैं। दरअसल इस पर्व से पहले शुरू होने वाले रमजान के पाक महीने में इस्लाम मजहब को मानने वाले लोग पूरे एक माह रोजा (व्रत) रखते हैं। रमजान महीने में मुसलमानों को रोजा रखना अनिवार्य है, क्योंकि उनका ऐसा मानना है कि इससे अल्लाह प्रसन्न होते है। यह पर्व त्याग और अपने मजहब के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह बताता है कि एक इंसान को अपनी इंसानियत के लिए इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, जिससे कि एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके।

ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले चाँद देखकर होता है। चाँद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है। सऊदी अरब में चाँद एक दिन पहले और भारत मे चाँद एक दिन बाद दिखने के कारण दो दिनों तक ईद का पर्व मनाया जाता है। ईद एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इसलिए इस दिन छुट्टी होती है। ईद के दिन सुबह से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग इस दिन तरह तरह के व्यंजन, पकवान बनाते है तथा नए नए वस्त्र पहनते हैं।

आपको सुरेन्द्र कुमार ‘अभिन्न’ जी की यह कविता “जश्ने ईद मनाऊँ कैसे” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

Check Also

Lord Buddha: Enlightenment and Nirvana

To A Buddha Seated On A Lotus: Sarojini Naidu

Sarojini Naidu was an Indian independence activist, poet and politician. A renowned orator and accomplished …