Hindi Poem on Eid-Ul-Fitr ईद हो हर दिन

Hindi Poem on Eid-Ul-Fitr ईद हो हर दिन

रमज़ान का पाक महीना बस अलविदा कहने को तैयार है।  रमज़ान के ख़त्म होते ही जो ईद मनाई जाती है, उसे ईद-उल-फितर कहा जाता है। इस्लाम समुदाय में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मस्जिदों को सजाया जाता है, लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों में एक से बढ़कर एक पकवान बनते हैं, छोटों को ईदी दी जाती है और एक-दूसरे से गले लगकर ईद की मुबारकबाद दी जाती है। हालांकि, इस साल लॉकडाउन के चलते, सभी लोग अपने-अपने घरों में ही ईद मनाएंगे।  इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमज़ान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। ईद कब मनाई जाएगी यह चांद के दीदार से तय होता है।

ईद हो हर दिन: संजीव वर्मा “सलिल”

ईद हो हर दिन हमारा,
दिवाली हर रात हो।
दिल को दिल से जीत लें हम,
नहीं दिल की मात हो…

भूलकर शिकवे शिकायत,
आओ हम मिल लें गले।
स्नेह सलिला में नहायें,
सुबह से संझा ढले।

आंख तेरी ख्वाब मेरे,
खुशी की बारात हो…
दर्द मुझको हो तो तेरी
आंख से आंसू बहे।

मेरे लब पर गजल
तेरे अधर पर दोहा रहे।
जय कहें जम्हूरियत की
खुदी वह हालात हो…

छोड दें फिरकापरस्ती
तोड नफरत की दिवाल।
दूध पानी की तरह हों एक
ऊंचा रहे भाल।

“सलिल” की शहनाई,
सबकी खुशी के नग्मात हो…

~ ‘ईद हो हर दिन’ Poem by संजीव वर्मा “सलिल”

ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले चाँद देखकर होता है। चाँद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है। सऊदी अरब में चाँद एक दिन पहले और भारत मे चाँद एक दिन बाद दिखने के कारण दो दिनों तक ईद का पर्व मनाया जाता है। ईद एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इसलिए इस दिन छुट्टी होती है। ईद के दिन सुबह से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग इस दिन तरह तरह के व्यंजन, पकवान बनाते है तथा नए नए वस्त्र पहनते हैं।

Check Also

Dear Guru Nanak

Dear Guru Nanak: English Poetry for Students and Children

Dear Guru Nanak: English Poetry – Sri Guru Nanak Dev Ji was the creator of …

One comment