ईद के त्यौहार पर हिंदी कविता
आसमां में गुफ्तगू है चल रही,
चाँद की आये खबर तो ईद हुई
अम्मी बनातीं थीं सिंवईयाँ दूध में,
स्वाद वह याद आया लो ईद हुई
नमाज हो मन से अदा,
जकात भी दिल से बँटे,
मजहब महज किताब नहीं
पूरे हुये रमजान के रोजों के दिन,
सौगात जो खुदा की, वो ईद हुई
आतंक होता अंधा जुनूनी बेइंतिहाँ,
मकसद है क्या इसका भला
गांधी जयंती ईद है इस दफा,
जो अंत हो आतंक का तो ईद हुई
नजाकत नफासत और तहजीब की
पहचान है मुसलमानी जमात,
आतंक का नाम अब और मुस्लिम न हो,
फैले रहमत तो ईद हुई
कुरान को समझें,
समझें जिहाद का मतलब,
ईद का पैगाम है मोहब्बत
दिल मिलें, भूल कर शिकवे गिले,
गले रस्मी भर नहीं, तो ईद हुई
रौनक बाजारों की, मन का उल्लास,
नये कपड़े और छुट्टी पढ़ाई की
उम्मीद से और ज्यादा मिले,
ईदी बचपन और बड़प्पन को ईद हुई।
~”ईद के त्यौहार पर हिंदी कविता” by विवेक रंजन श्रीवास्तव
ईद-उल-फितर अथवा रोजा ईद एक बड़ा महत्वपूर्ण त्यौहार है। सारे विश्व के सभी मुसलमान इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं।
ईद के त्यौहार को कब और क्यों मनाया जाता है?
रमजान के महीने में जिस दिन दूज का चाद दिखाई दे जाता है, उसके अगले दिन ईद का त्यौहार मनाया जाता है। यह बड़ा महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। मुसलमान 30 दिन रोजे (उपवास) रखते है। इन दिनों वे सारे दिन पानी की एक बूंद तक मुँह में नहीं जाने देते।
सूर्यास्त होने के बाद नमाज पढ़कर ही वे रोजा खोलते हैं । पूरे महीने वे ईश्वर की याद करके नेम-धर्म से जीवन जीते है । इन रोजो की समाप्ति ईद से होती है । ईद का चाँद देखना बडा पुनीत माना जाता है । शाम से ही सैकडों आखे आसमान मे चाँद देखने का प्रयास करती हैं । ज्यों ही चाँद दिखाई देता है, वे खुशी से नाच उठते हैं । यह रोजो की समाप्ति का प्रतीक माना जाता है । अगले दिन ईद का त्यौहार मनाने की घोषणा कर दी जाती है ।
ईद के त्यौहार को कैसे मनाया जाता है?
यह मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार है । वे इस त्यौहार की बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं । त्यौहार के कई दिन पहले से ही खूब धूमधाम से तैयारियाँ की जाती हैं । सभी मुसलमान बालक-वृद्ध, पुरुष-स्त्रियों, अमीर-गरीब नए-नए रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं ।
इस त्यौहार पर नई टोपी और नए जूतों का विशेष महत्त्व होता है । ईद के दिन सभी मुसलमान सुबह उठकर खूब मल-मल कर स्नान करते है और नए वस्त्र पहनते हैं । वे खूब सुगन्धित इत्र लगाते हैं । बच्चे नई-नई पोशाक पाकर हर्ष से उछलते-कूदते है । सभी मुसलमान इस पवित्र दिन पर खैरात बाटना बड़े पुण्य का काम समझते हैं ।
ईदगाह में प्रार्थना:
नहा-धोकर सभी पुरुष और बच्चे नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह जाते हैं । सब एकत्र होकर सम्मिलित रूप से अल्लाह का नाम लेते है । नमाज पढ़कर वे सब बड़े प्रेम से एक-दूसरे को गले मिलते हैं और ‘ईद मुबारक’ कहते हैं । इस अवसर पर छोटे-बड़े और ऊँच-नीच में कोई भेद नहीं होता ।
सभी अपने आपसी मतभेद और वैर-भाव भुलाकर सगे भाइयो की तरह प्यार से गले मिलते हैं । इसके बाद कुछ लोग अपने मित्रो और पुरखो की कब्र पर फूल चढाने कब्रगाह जाते हैं । वहाँ वे उनको आत्मा की शाति के लिए अल्लाह से प्रार्थना करते हैं ।