Hindi Poem on Yoga & Meditation ध्यान और योग

Hindi Poem on Yoga & Meditation ध्यान और योग

प्रकृति की गोद में, करें ध्यान और योग,
प्राणायाम से नष्ट हों जीवन के सब रोग।

जीवन के सब रोग मिटें, आनंद मिलेगा,
सकारात्मक उर्जा होगी तो हृदय खिलेगा।

कवि हो जाता धन्य देख यह दृष्य सुहाना,
ऐसे सुख से बढ़ कर सुख न हमने जाना।

~ रजनीश माँगा

क्या है “ध्यान और योग” का मेल

‘ध्यान’ चेतन मन की एक प्रक्रिया है जिसमें साधक अपनी चेतना बाह्य जगत के किसी चुने हुए दायरे या स्थल विशेष पर केन्द्रित करता है। इसे अंग्रेजी में ‘अटेंशन’ (Attention) कहते हैं। योग सम्मत ध्यान और सामान्य ध्यान में अंतर है। योग सम्मत ध्यान लम्बे समय के अभ्यास के परिणाम स्वरूप आध्यात्मिक लक्ष्य की ओर ले जाता है और सामान्य ध्यान भौतिक शक्ति की वृद्धि करता है। लोग सदियों से ध्यान-अभ्यास को अपने जीवन में ढालते रहे हैं। आज जबकि लोगों को इसके नये और विविध लाभ पता चलते जा रहे हैं, तो इसकी प्रसिद्धि में भी बढ़ोतरी हो रही है। यह तो सिद्ध हो चुका है कि ध्यान-अभ्यास हमारे शरीर, मन और आत्मा दोनों को लाभ पहुंचाता है। परंतु आज लोग इसके एक अतिरिक्त लाभ के बारे में जान रहे हैं – अपने अंदर नवीन ऊर्जा जागृत करने से अवर्णनीय लाभ मिलता है। डॉक्टर हमें बताते हैं कि तनाव (Stress) हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत हानिकारक प्रभाव डालता है।

ध्यान करने से हमारा शरीर पूरी तरह से शांत हो जाता है और हमारा समस्त तनाव दूर हो जाता है। परीक्षण बताते हैं कि यान-अभ्यास के दौरान हमारी दिमागी तरंगें धीमी होकर 4-10 Hertz पर कार्य करने लगती हैं, जिससे कि हमें पूरी तरह से शांत होने का एहसास होता है। इससे शरीर को अनेक लाभ मिलते हैं, जैसे कि बेहतर नींद आना, रक्तचाप में कमी आना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और पाचन प्रणाली में सुधार आना, तथा दर्द के एहसास में कमी आना। ज्योति ध्यान-अभ्यास करने से ये सभी लाभ हमें अपने आप ही प्राप्त हो जाते हैं।दिन भर में हमारे मन में विचार चलते रहते हैं। जब हम ध्यान-अभ्यास करने के लिये बैठते हैं और अपने ध्यान को आत्मा या कहीं पर एकाग्र होने की क्षमता में इस बढ़ोतरी से, तथा साथ ही तनाव में कमी, ऊर्जा में वृद्धि, और रिश्तों में सुधार आने से हम सांसारिक कार्यों में भी सफलता प्राप्त करते हैं। हम पहले से अधिक कार्यकुशल और उत्पादक हो जाते हैं।ज्योति ध्यान-अभ्यास और शब्द-अभ्यास अनूठी विधाएं हैं। ये शरीर और मन को ही नहीं बल्कि आत्मा को भी लाभ पहुंचाती हैं। अपने भीतर के शक्तिशाली प्रकाश और ध्वनि के साथ जुड़ने से हमारी आत्मा बलवान होती है और हम अधिक चेतनता से भरपूर मंडलों में पहुंच जाते हैं। ये ताकतवर आत्मा ही हमारा वास्तविक स्वरूप है तथा ये अपार ज्ञान, प्रेम और शक्ति का स्रोत है। ये एक पूरी तरह से आध्यात्मिक अनुभव है। अपने ध्यान को अपने भीतर एकाग्र करने से ही आंतरिक रूहानी मंडलों का अनुभव कर सकते हैं और इस प्रकार अपने जीवन के असली उद्‌देश्य को पूरा कर सकते हैं।नियमित रूप से ध्यान करने से हम प्रत्येक जीव में प्रभु का अंश देखने लगते हैं। इस महान्‌ सत्य का अनुभव करने से हमारे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आता है। हम सभी लोगों से एक समान प्रेम करने लगते हैं और उन्हें अपने ही परिवार का सदस्य समझने लगते हैं। हमारे अंदर बहुत बड़ी तब्दीली (परिवर्तन) आती है तथा हम सभी प्रेम और करुणा का व्यवहार करने लगते हैं। अगर प्रत्येक व्यक्ति ध्यान-अभ्यास के द्वारा अंदरूनी शांति प्राप्त कर ले और सभी से प्रेम का व्यवहार करने लगे, तो शीघ्र ही संपूर्ण विश्व में शांति स्थापित हो जायेगी। हम प्रेम और एकता से एक दूसरे के साथ रहने लगेंगे।गहरी सांस और लम्बी अवधि तक शांत रहने का सम्बन्ध ‘भारतीय योग’ या किसी आश्रम से हो सकता है, सामाजिक तैयारी से तो एकदम नहीं लेकिन अमेरिकी सेना के उच्च अधिकारी इस बात पर अध्ययन कर रहे हैं कि ध्यान (Meditation), युद्ध के दौरान उनके सैनिकों के मानसिक प्रदर्शन को सुधारने के साथ-साथ इनके सम्पूर्ण स्वास्थ्य सुधार में सहायक सिद्ध हो सकता है। आर.आई.ए. नो बोस्ती के अनुसार अमेरिकी मरीन स्टाफ सार्जेन्ट नाथन हैपटन ने ‘द वाशिंगटन टाइम्स’ से कहा ‘ढेर सारे लोग सोचते हैं कि ‘ध्यान’ से समय की बर्बादी होती है लेकिन मैंने ‘माइंड फिटनेस’ ट्रेनिंग की प्रभावकता पर एक सैन्य अध्ययन में भाग लिया तो मैंने अपने आपको बेहतर महसूस किया कि मैं पूरे समय तनावमुक्त था। ‘ध्यान’ आपको तनावपूर्ण स्थिति में अधिक स्पष्ट रूप से सोचने में मदद करता है। जिस कार्यक्रम में मैंने हिस्सा लिया था, वह कार्यक्रम अमेरिकी सेना के एक पूर्व कप्तान और मौजूदा समय में जार्ज टाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऐलिडबिथ स्टेनली ने तैयार किया था।‘ध्यान साधना’ और योग से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तथा वैश्विक लाभ मिलता है जिससे विश्व की एकता मजबूत होती है। भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‌’ की भावना का समर्थक रहा है। इसलिए पूरे विश्व में हम ऋषि परम्परा का प्रचार-प्रसार कर लोगों के शारीरिक तथा मानसिक तकलीफों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

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