Hindi Wisdom Poem on Serving Parents जरा सोचें

Hindi Wisdom Poem on Serving Parents जरा सोचें

मैं नहीं कहता किताबों में भी लिखा है,
बच्चों के लिए माता- पिता का सब कुछ बिका है।

खून-पसीना बहा जिन्होनें हमे पाला है,
उनका हमने हर एक कहना टाला है।

उंगली पकड़ हमारी चलना सिखाया जिन्होनें,
तंगी में भी पढ़ाया-लिखाया जिन्होनें,
कोई पिता चलाए रिक्शा कोई माँ करें दिहाड़ी।

हमारी मुस्कान जिन्हें जान से प्यारी,
होकर आप गीले, सूखे में सुलाया हमें,
भूखे रह कर दो समय खिलाया हमें।

हमारी खुशियों के लिए जिन्होनें कड़वा घूंट पिया है,
आखिर में हमने उनके लिए क्या किया हैं?

जो हमें भगवान का दिया हुआ उपहार मानते है,
आज हम उन माता-पिता को सिर पर भार मानते हैं।

बड़ी मजबूत है प्यार की बुनियाद कच्ची नहीं,
माँ-बाप को देना तंगी बात अच्छी नहीं।

आजकल के बच्चों की अपनी-अपनी सोच है,
कोई माने माँ-बाप को ताकत कोई माने बोझ है।

पत्नी-बच्चों को चाहे जी भर प्यार करो,
पर साथ ही माता- पिता का पूरा सत्कार करो।

माता-पिता को समझो ताकत कभी मजबूरी मत,
सपने में भी डालो उनसे दूरी मत।

जैसे एक बार टूटे तारे आसमान में वापस जाते नहीं,
एक बार गए माता-पिता वापस आते नहीं।

नितिन शर्मा

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