आसान अल्फाज के जरिए सीधे दिल में उतरने वाले मशहूर शायर और गीतकार शकील बदायूंनी के बगैर रूमानी फिल्मों की कहानियां अधूरी हैं। मगर, मकबूल शायर होने के बावजूद उन्हें वह जगह नहीं मिली जिसके वह हकदार थे।
‘मुगल-ए-आजम’ और ‘मदर इंडिया‘ जैसी कालजयी फिल्मों और ‘मेरे महबूब’, ‘गंगा-जमुना’ और ‘घराना’ जैसी अपने दौर की सुपरहिट फिल्मों को अपने नग्मों से सजाने वाले शकील में उर्दू अदब की खिदमत करने का बेहतरीन जज्बा था।
शकील बदायूंनी फिल्म जगत के ऐसे शायर थे, जिनके बगैर रूमानी फिल्मों की कहानियां अधूरी रहती थीं। उनकी शायरी में सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उसमें इंसान की वह जिंदगी पूरे तौर पर मौजूद होती थी, जो ख्वाबों में दिखती है। शकील क्लासिकल शायर थे। उनकी शायरी में उर्दू जबान का पूरा लुत्फ और मामलाबंदी मौजूद रहती थी। सबसे बड़ी बात यह है कि उनके मिसरे अवाम तक आसानी से पहुंच जाते थे। वह ऐसा जमाना था जब अरबी और फारसी के हवाले करके उर्दू को इतना मुश्किल कर दिया गया था कि वह आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती थी, जबकि शायरी की आम तारीफ यही है कि हम कहें और आपके दिल तक पहुंच जाए।
इन्साफ़ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के: शकील बदायूंनी
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
अपने हों या पराए सबके लिये हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं चलना सम्भल-सम्भल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
इन्सानियत के सर पर इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन भी भेंट देकर भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा अंतिम चिता में जल के,
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
∼ शकील बदायूंनी
चित्रपट : गंगा जमुना (1961)
गीतकार : शकील बदायूंनी
संगीतकार : नौशाद
गायक : हेमंत कुमार
सितारे : दिलीप कुमार, वैजन्ती माला, नासिर खान, अज़रा, लीला चिटनीस, कन्हैया लाल, अनवर हुसैन, नज़ीर हुसैन, हेलेन