आज का हिन्दू युवा बॉलीवुड, चलचित्रों, इंटरनेट आदि द्वारा तेजी से धर्मविमुख हो रहा है इसके लिए माता-पिता को बचपन से ही धर्म की शिक्षा देनी चाहिए और कॉन्वेंट जैसे स्कूलों में नही पढ़ाकर गुरूकुलों में या किसी ऐसे स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजना चाहिए जहां धर्म का ज्ञान मिलता हो, नही तो बच्चों में संस्कार नही होंगे तो न आपकी सेवा कर पाएंगे और नही समाज और देश के लिए कुछ कर पाएंगे। अतः अपने बच्चों एवं आसपास बच्चों को अच्छे संस्कार जरूर दे।
झूठे लोग: whatsapp से ली गयी हिंदी कविता
मन्दिर लगता आडंबर, और मदिरालय में खोए हैं,
भूल गए कश्मीरी पंडित, और रोहंगिया पे रोए हैं।
इन्हें गोधरा नहीं दिखा, गुजरात दिखाई देता है,
एक पक्ष के लोगों का, जज्बात दिखाई देता है।
हिन्दू को गाली देने का, मौसम बना रहे हैं ये,
धर्म सनातन पर हँसने को, फैशन बना रहे हैं ये।
टीपू को सुल्तान मानकर, खुद को बेचकर फूल गए,
और प्रताप की खुद्दारी की, घास की रोटी भूल गए।
आतंकी की फाँसी इनको, अक्सर बहुत रुलाती है,
गाय माँस के बिन भोजन की, थाली नहीं सुहाती है।
होली आई तो पानी की, बर्बादी पर ये रोते हैं,
रेन डाँस के नाम पर, बहते पानी से मुँह धोते है।
दीवाली की जगमग से ही, इनकी आँखें डरती हैं,
थर्टी फर्स्ट की आतिशबाजी, इनको नहीं अखरती है।
देश विरोधी नारों को, ये आजादी बतलाते हैं,
राष्ट्रप्रेम के नायक संघी, इनको नहीं सुहाते हैं।
सात जन्म के पावन बंधन, इनको बहुत अखरते हैं,
लिव इन वाले बदन के, आकर्षण में आहें भरते हैं।
आज समय की धारा कहती, मर्यादा का भान रखो,
मूल्यों वाला जीवन जी कर, दिल में हिन्दुस्तान रखो।
भूल गया जो संस्कार, वो जीवन खरा नहीं रहता,
जड़ से अगर जुदा हो जाए, तो पत्ता हरा नहीं रहता।
“भारत माता की जय”
~ अनामिका
हिन्दू समाज के युवाओं को वेद आदि धर्म शास्त्रों का ज्ञान तो बहुत दूर की बात है । वाल्मीकि रामायण और महाभारत तक का स्वाध्याय उसे नहीं हैं। धर्म क्या है? धर्म के लक्षण क्या है? वेदों का पढ़ना क्यों आवश्यक है? वैदिक धर्म क्यों सर्वश्रेष्ठ है? हमारा प्राचीन महान इतिहास क्या था? हम विश्वगुरु क्यों थे? इस्लामिक आक्रांताओं और ईसाई मिशनरियों ने हमारे देश, हमारी संस्कृति, हमारी विरासत को कैसे बर्बाद किया। हमारे हिन्दू युवा कुछ नहीं जानते। न ही उनकी यह जानने में रूचि हैं। अगर वह पढ़ते भी है तो अंग्रेजी विदेशी लेखकों के मिथक उपन्यास (Fiction Novel) जिनमें केवल मात्र भ्रामक जानकारी के कुछ नहीं होता। स्वाध्याय के प्रति इस बेरुखी को दूर करने के लिए एक मुहीम चलनी चाहिए। ताकि धर्मशास्त्रों का स्वाध्याय करने की प्रवृति बढ़े। हर हिन्दू मंदिर, मठ आदि में छुट्टियों में 1 से 2 घंटों का स्वाध्याय शिविर अवश्य लगना चाहिए। ताकि हिन्दू युवाओं को स्वाध्याय के लिए प्रेरित किया जा सके।