किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये - निदा फ़ाजली

किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये – निदा फ़ाजली

अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये

जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ नहीं
उन चिरा.गों को हवाओं से बचाया जाये

क्या हुआ शहर को कुछ भी तो नज़र आये कहीं
यूँ किया जाये कभी खुद को रुलाया जाये

बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये

खुदकुशी करने कि हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन अभी औरों को सताया जाये

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये

~ निदा फ़ाजली

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