देखिये, तटबंध कितने दिन चले
मोह में अपनी मंगेतर के
समुंदर बन गया बादल,
सीढ़ियाँ वीरान मंदिर की
लगा चढ़ने घुमड़ता जल;
काँपता है धार से लिपटा हुआ पुल
देखिये, संबंध कितने दिन चले
फिर हवा सहला गई माथा
हुआ फिर बावला पीपल,
वक्ष से लग घाट से रोई
सुबह तक नाव हो पागल;
डबडबाये दो नयन फिर प्रार्थना में
देखिये, सौगंध कितने दिन चले