फिर लाल तराना गाते हैं…
फूलों की शय्या त्याग–त्याग,
हर सुख सुविधा से भाग–भाग,
फिर तलवारों पर चलते हैं,
फिर अंगारों पर सोते हैं,
सावन में रक्त बरसाते हैं!
फिर लाल तराना गाते हैं…
मारो इन चोर लुटेरों को,
काटो इन रिश्वतखोरों को,
लहराव जवानी का परचम,
लाओ परिवर्तन का मौसम,
आओ बंदूक उगाते हैं!
फिर लाल तराना गाते हैं…
मैं बुनकर से कह आया हूँ,
वो कफ़न बुने हम लोगों के,
कह आया हूँ जल्लाद से भी,
फाँसी का तख्ता चमकाओ,
अशफ़ाक भगत सिंह आते हैं!
फिर लाल तराना गाते हैं…