कुटी चली परदेस कमाने
घर के बैल बिकाने
चमक दमक में भूल गई है
अपने ताने बाने।
राड बल्ब के आगे फीके
दीपक के उजियारे
काट रहे हैं फ़ुटपाथों पर
अपने दिन बेचारे।
कोलतार सड़कों पर चिड़िया
ढूंढ रही है दाने।
एक एक रोटी के बदले
सौ सौ धक्के खाये
किंतु सुबह के भूले पंछी
लौट नहीं घर आये।
काली तुलसी नागफनी के
बैठी है पैताने।
गोदामों के लिये बहाया
अपना खून पसीना
तन पर चमड़ी बची न बाकी
एसा भी क्या जीना।
छांव बरगदी राज नगर में
आई गांव बसाने।