मां के हाथ का खाना: हिंदी बाल-कविता माँ के खाने के बारे में

मां के हाथ का खाना: हिंदी बाल-कविता माँ के खाने के बारे में

मां के हाथ का खाना कितना स्वादिष्ट होता है, यह तो हम सभी जानते हैंं। हर कोई अपने मां के हाथ के खाने का स्वाद कभी भी नहीं भुलता है। मां अपने खाने में प्यार डालती है, यही प्यार खाने को सबसे ज्यादा स्वादिष्ट बनाता है। मां को अच्छी तरह से पता रहता है की उसके बच्चे को किस तरह का खाना पसंद है। मां किसी फरिश्ता से कम नहीं होती और फरिश्ता के हाथ का खाना अमृत के समान होता है।

माँ के हाथ के बने खाने में हमेशा ज़्यादा टेस्टी क्या होता है और क्यों होता है सबसे अहम् बात ये है कि माँ के हाथ के बनें खाने में क्या जादू होता है कि कोई ना ही नहीं कर पाता।

मां के हाथ का खाना

जब मां रसोई में खड़ी होती,
खुशबू से घर महकाती रहती।
चूल्हे पर उबलते दूध की मूंज,
सबके दिलों में बसी रहती।

खुशी की सुगंध।
गाजर का हलवा, या दाल का तड़का,
माँ का हर व्यंजन है बिल्कुल अद्भुत।
चपाती में घुला हुआ प्यार,
हर कौर में छिपा सुख का आधार।

बच्चे खुश होकर कहते,
मां, तुमने आज क्या बनाया?
उनको हंसी में है खास मिठास,
मां के हाथ का खाना है सबसे खास।

हर एक बर्तन में है कहानी,
मां की मेहनत और परेशानी।
जब भी भूख लगे, याद आए,
उनके हाथ का बना खाना,
दिल को भाए।

मां के हाथ का बना खाना,
हर बच्चे का है प्यारा सपना।
इसमें है प्यार, इसमें है खुशी,
मां का खाना, सबकी है सच्ची खुशी।

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