माँ की ममता
माँ की प्यारी दुलारी थी,
माँ तो हमको दूध पिलाती,
माँ भी कितनी भोली-भाली।
माखन-मिश्री घोल खिलाती,
बड़े मज़े से गोद में सुलाती,
माँ तो कितनी अच्छी है,
साड़ी दुनिया उसमें है।
∼ सुप्रीता झा
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