माँ की ममता - Mother's Day Special Hindi Bal Kavita

माँ की ममता: मातृ दिवस पर हिंदी कविताएँ

मातृ दिवस

रोज सुबह पैदा होती है माँ
जब आँख खुलती है
दिख जाती है

दीवारों से जाले हटाते हुए
खिड़कियों को पोंछते हुए
कमर में खोंस लेती है आँचल
फिर बुहारती है पूरा घर आँगन
कान लगे रहते हैं
रसोईघर से आती
कुकर की सीटी पर
तीखी नाक गंध
सूँघती है इधर उधर
ध्यान रहता है उसका
बच्चों की हरकतों पर
नजरों से तौलती है राशन
जो बनिये की दुकान से आता है
उसके नाप तौल को देख
हर दुकानदार घबराता है
छींक भी गर आ जाये बच्चे को
तो डाक्टर बन जाती है
स्कूल में जब टीचर्स से मिलने आती है
तो अनपढ़ बन जाती है
बंद खुले होंठो पर उसके
कुछ राज जीवन के रहते हैं
चोट आ जाये बच्चे को तो
आँसू उसकी आंखों से बहते हैं
अपने ममतामयी हाथों में
खाली सा कुछ भर लाती है
उड़ेल दुआयें बच्चों पर सारी
हौले हौले बुदबुदाती है
नजर न लग जाये किसी की
काला टीका रोज लगाती है
जब कभी रूठे सबसे तो
खुद ही बच्चा बन जाती है

रोज सुबह पैदा होती है माँ

~ मीना अरोरा [https://www.facebook.com/meena.s.arora]

Check Also

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan is celebrated by burning Holika, an asuri (demoness). For many traditions in Hinduism, …