आओ तुम्हे बताऊ के माँ क्या है: कैफ़ी आज़मी
माँ एक ज्योति जीवन है
बाकी सब अन्धियारा है
माँ एक ज्योति जीवन है
बाकी सब अन्धियारा है
साच्ची उसके दुनिया में
भगवान ने प्यार उतारा है
माँ का दूजा नाम है प्यार
मेरे साथी मेरे यार
आओ आओ तुम्हे बताऊ के माँ क्या है
जिनको माँ छू लेती है काँटे वो खिल जाते है
महके महके आँचल में सारे सुख मिल जाते है
माँ की गोदी एक संसार मेरे साथी मेरे यार
आ तुम्हें बताऊ के माँ क्या है
भूखा है ठोकर खा प्यासा है तो आँसू पी
दुनिया तुमसे कहती है जीना है तो ऐसे जी
माँ बिन जीना है बेकार मेरे साथी मेरे यार
आओ आओ तुम्हे बताऊ के माँ क्या है
~ कैफ़ी आज़मी
Film: Ghar Ka Chirag (1967)
Singer: Lata Mangeshkar
Music: Madan Mohan
Lyrics: Kaifi Azmi
Ghar Ka Chirag (The Lamp That Lights The Home) is a 1967 Hindi social family melodrama film of Indian cinema. It was produced and directed by Jagdev Bhambri, who also wrote the screenplay. The lyricist was Kaifi Azmi, with music composed by Madan Mohan. The ensemble cast included Dharmendra, Waheeda Rehman, Biswajit, Balraj Sahni, Indrani Mukherjee and Abhi Bhattacharya.
Ghar Ka Chirag was one of three children’s films released in 1967 which “sought to portray the experiences of children placed in rather peculiar circumstances”.
The story revolves round a group of children who are kidnapped and then maimed by the ring-leader of a beggar’s gang. In the process, unintentionally, the leader’s son is blinded and made to beg. Though not a success at the box-office, the film received a three out of five star rating in Collections.