स्कूल ना जाने की हठ पर एक बाल-कविता: माँ मुझको मत भेजो शाला

स्कूल ना जाने की हठ पर एक बाल-कविता: माँ मुझको मत भेजो शाला

अभी बहुत ही छोटी हूँ मैं,
माँ मुझको मत भेजो शाळा।

सुबह सुबह ही मुझे उठाकर ,
बस में रोज बिठा देती हो।
किसी नर्सरी की कक्षा में,
जबरन मुझे भिजा देती हो।
डर के मारे ही माँ अब तक,
आदेश नहीं मैंने टाला।

चलो उठो, शाला जाना है ,
कहकर मुझे उठा देती हो।
शायद मुझको भार समझकर,
खुद से दूर हटा देती हो।
रहने देती पास मुझ माँ,
इस तरह दूर क्यों कर डाला।

उमर अभी दो साल हुई है
खेल खिलोने वाले दिन हैं,
खेलूं गुड्डा गुड़ियों के संग,
होता रहता मेरा मन है।
मुझे दूर रखने में कुछ तो,
लगता मुझे दाल में काला।

अभी मुझे मत भेजो अम्मा,
कुछ दिन तो घर में रहने दो,
मोटर ,गाडी ,घोड़ो के संग,
उछल कूद मुझको करने दो।
मैं हूँ छोटी गुड़िया तेरी,
मैं हूँ प्यारी नन्हीं बाला।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

आपको प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी की यह कविता “माँ मुझको मत भेजो शाला” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

World Meteorological Day - 23 March, Information, History, Themes

World Meteorological Day: Date, History, Celebration, Theme & Banners

World meteorological day is celebrated all across the world by the member states meteorological organizations …