माँ से दूर – राहुल उपाध्याय

मैं अपनी माँ से दूर अमरीका में रहता हूँ
बहुत खुश हूँ यहाँ, मैं उससे कहता हूँ।

हर हफ्ते मैं उसका हाल पूछता हूँ
और अपना हाल सुनाता हूँ।

सुनो माँ
कुछ दिन पहले
हम ग्राँड केन्यन गए थे
कुछ दिन बाद
हम विक्टोरिया–वेन्कूवर जाएंगे
दिसंबर में हम केन्कून गए थे
और जुन में माउंट रेनियर जाने का विचार है।

देखो न माँ
ये कितना बड़ा देश है
और यहाँ देखने को कितना कुछ है
चाहे दूर हो या पास
गाड़ी उठाई और पहुँच गए
फोन घु्माया
कंप्यूटर का बटन दबाया
और प्लेन का टिकट, होटल आदि
सब मिनटों में तैयार है।

तुम आओगी न माँ
तो मैं तुम्हें भी सब दिखलाऊंगा।

लेकिन
यह सच नहीं बता पाता हूँ कि
बीस मील की दूरी पर रहने वालों से
मैं तुम्हें नहीं मिला पाऊँगा
क्योंकि कहने को तो हैं मेरे दोस्त
लेकिन मैं खुद उनसे कभी–कभारा
ही मिल पाता हूँ।

माँ खुश है कि
मैं यहाँ मंदिर भी जाता हूँ
लेकिन
मैं यह सच कहने का साहस नहीं जुटा पाता हूँ
कि मैं वहाँ पूजा नहीं
सिर्फ पेट पूजा ही कर पाता हूँ।

बार बार उसे जताता हूँ कि
मेरे पास एक बड़ा घर है, यार्ड है
लॉन में हरी हरी घास है
न चिंता है, न फिक्र है
हर चीज मेरे पास है
लेकिन
यह सच नहीं बता पाता हूं कि
मुझे किसी न किसी कमी का
हर वक्त रहता अहसास है।

न काम की है दिक्कत
न ट्रैफिक की है झिकझिक
लेकिन हर रात
एक नये कल की
आशंका से घिर जाता हूँ
आधी रात को नींद खुलने पर
घबरा के बैठ जाता हूँ।

मैं लिखता हूँ कविताएँ
लोगों को सुनाता हूँ
लेकिन
मैं यह कविता
अपनी माँ को ही नहीं सुन पाता हूँ।

लोग हँसते हैं, मैं रोता हूँ।
मैं अपनी माँ से दूर अमरीका में रहता हूँ
बहुत खुश हूँ यहाँ, मैं उससे कहता हूँ।

~ राहुल उपाध्याय

Check Also

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …