मधु की रात – चिरंजीत

मधु की रात – चिरंजीत

अलक सन्धया ने सँवारी है अभी
म्यान में चन्दा कटारी है अभी
चम्पई रंग पे न आ पाया निखार
रात यह मधु की, कुंआरी है अभी।

चाँदनी की डगर पर तुम साथ हो
प्राण युग–युग तक अमर यह रात हो
कल हलाहल ही पिला देना मुझे
आज मधु की रात, मधु की बात हो।

क्या सितारों के इशारे, ध्यान दो
कह रही मधुबात क्या, टुक ध्यान दो
जिन्दगी प्यासी खड़ी है द्वार पर
आज मधु का पर्व, मधु का दान दो।

रात है, मधु है, समर्पित गात है
आज तो यह पाप की अवदात है
सघन श्यामल केश लहराते रहें
मैं रहूँ भ्रम में, अभी तो रात है।

बहुत खोया, अ‍ौर खोने दो मुझे
और भी गुमराह होने दो मुझे
आज पलकों की छबीली छांह में –
लग गई है आँख, सोने दो मुझे।

~ चिरंजीत

आपको चिरंजीत जी की यह कविता “मधु की रात” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

Maha Kumbh 2025: क्या होता है अखाड़ा और कौन से हैं भारत के प्रमुख अखाड़े

Maha Kumbh and Akhada: क्या होता है अखाड़ा और कौन से हैं भारत के प्रमुख अखाड़े

Maha Kumbh and Akhada 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में 13 जनवरी से महाकुंभ …