Here is an old poem of Shamsher Bahadur Singh, in praise of ancient motherland India.
शमशेर बहादुर सिंह (जन्म: 13 जनवरी, 1911 – मृत्यु: 12 मई, 1993) आधुनिक हिंदी कविता के प्रगतिशील कवि हैं। ये हिंदी तथा उर्दू के विद्वान हैं। प्रयोगवाद और नई कविता के कवियों की प्रथम पंक्ति में इनका स्थान है। इनकी शैली अंग्रेज़ी कवि एजरा पाउण्ड से प्रभावित है। शमशेर बहादुर सिंह ‘दूसरा सप्तक’ (1951) के कवि हैं। शमशेर बहादुर सिंह ने कविताओं के समान ही चित्रों में भी प्रयोग किये हैं। आधुनिक कविता में ‘अज्ञेय’ और शमशेर का कृतित्व दो भिन्न दिशाओं का परिचायक है- ‘अज्ञेय’ की कविता में वस्तु और रूपाकार दोनों के बीच संतुलन स्थापित रखने की प्रवृत्ति परिलक्षित होती है, शमशेर में शिल्प-कौशल के प्रति अतिरिक्त जागरूकता है। इस दृष्टि से शमशेर और ‘अज्ञेय’ क्रमशः दो आधुनिक अंग्रेज़ कवियों एजरा पाउण्ड और इलियट के अधिक निकट हैं। आधुनिक अंग्रेज़ी-काव्य में शिल्प को प्राधान्य देने का श्रेय एजरा पाउण्ड को प्राप्त है। वस्तु की अपेक्षा रूपविधान के प्रति उनमें अधिक सजगता दृष्टिगोचर होती है। आधुनिक अंग्रेज़ी-काव्य में काव्य-शैली के नये प्रयोग एजरा पाउण्ड से प्रारम्भ होते हैं। शमशेर बहादुर सिंह ने अपने वक्तव्य में एजरा पाउण्ड के प्रभाव को मुक्तकण्ठ से स्वीकार किया है – टेकनीक में एजरा पाउण्ड शायद मेरा सबसे बड़ा आदर्श बन गया।
भारत गुण–गौरव: शमशेर बहादुर सिंह
श्रद्धा से उसके कण–कण को,
उन्नत माथ नवाता।
प्र्रथम स्वप्न–सा आदि पुरातन,
नव आशाओं से नवीनतम,
चिर अजेय बलदाता।
आर्य शौर्य धृति, बौद्ध शांति द्युति,
यवन कला स्मिति, प्राच्य कार्म रति,
अमर, अभय प्रतिभायुत भारत
चिर रहस्य, चिर ज्ञाता।
वह भविष्य का प्रेम–सूत है,
इतिहासों का मर्म पूत है,
अखिल राष्ट्र का श्रम, संचय, तपः
कर्मजयी, युग त्राता
मैं भारत गुण–गौरव गाता।