मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो – साहिर लुधियानवी

Depressionमेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो।
कठिन सही  तेरी मंज़िल, मगर उदास न हो॥

कदम कदम पे चट्टानें खडी़ रहें, लेकिन
जो चल निकले हैं दरिया तो फिर नहीं रुकते।
हवाएँ कितना भी टकराएँ आँधियाँ बनकर,
मगर घटाओं के परछम कभी नहीं झुकते।
मेरे नदीम मेरे हमसफ़र…

हर एक तलाश के रास्ते में मुश्किलें हैं, मगर
हर एक तलाश मुरादों के रंग लाती है।
Tensionहजारों चाँद सितारों का खून होता है
तब एक सुबह फ़िजाओं पे मुस्कुराती है।
मेरे नदीम मेरे हमसफ़र…

जो अपने खून को पानी बना नहीं सकते
वो जिंदगी में नया रंग ला नहीं सकते।
जो रास्ते के अँधेरों से हार जाते हैं
वो मंजिलों के उजाले को पा नहीं सकते।
मेरे नदीम मेरे हमसफ़र…

∼ साहिर लुधियानवी

चित्रपट : भाई बहन (१९५९)
निर्माता, निर्देशक : जी. पी. सिप्पी
लेखक : आई. एस. जौहर
गीतकार : साहिर लुधियानवी
संगीतकार : एन. दत्ता (दत्ता नायक)
गायक : सुधा मल्होत्रा
सितारे : डेज़ी ईरानी, बेबी नाज़, जॉनी वॉकर, राजन कपूर, कथन

Plot Summary

Soni Rai lives a wealthy lifestyle in India with her businessman dad, Kedarnath and mom, Geeta, and longs for a brother, who she can tie a Raakhi on. She meets with the lollipop seller, Ramu, a street urchin, decides to make him her brother, and invites him to her house on Raksabandhan. When a delighted Ramu arrives there with a gift for Soni, this angers Kedarnath, and he has his servant remove Ramu from the premise. Shortly thereafter, Soni is abducted and held for a ransom of one Lakh rupees. Kedarnath, together with the Police, to go deliver the money, but are unable to meet with anyone. The kidnappers contact Kedarnath, admonish him for involving the Police, ask him to re-deliver the money, which Kedarnath agrees to do so. The money is delivered, but Soni is not released, and an additional demand is made for two Lakh rupees. The question remains, will the abductors ever release Soni alive, and who is behind this kidnapping?

About Sahir Ludhianvi

साहिर लुधियानवी (८ मार्च १९२१ - २५ अक्टूबर १९८०) एक प्रसिद्ध शायर तथा गीतकार थे। इनका जन्म लुधियाना में हुआ था और लाहौर (चार उर्दू पत्रिकाओं का सम्पादन, सन् १९४८ तक) तथा बंबई (१९४९ के बाद) इनकी कर्मभूमि रही। फिल्म आजादी की राह पर (1949) के लिये उन्होंने पहली बार गीत लिखे किन्तु प्रसिद्धि उन्हें फिल्म नौजवान, जिसके संगीतकार सचिनदेव बर्मन थे, के लिये लिखे गीतों से मिली। फिल्म नौजवान का गाना ठंडी हवायें लहरा के आयें ..... बहुत लोकप्रिय हुआ और आज तक है। बाद में साहिर लुधियानवी ने बाजी, प्यासा, फिर सुबह होगी, कभी कभी जैसे लोकप्रिय फिल्मों के लिये गीत लिखे। सचिनदेव बर्मन के अलावा एन. दत्ता, शंकर जयकिशन, खय्याम आदि संगीतकारों ने उनके गीतों की धुनें बनाई हैं। 59 वर्ष की अवस्था में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का निधन हो गया।

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