रहना चाहती हरदम मेरे पास।
बातें अनेक करती जुबानी
सिखलाती ढंग जीने का॥
मेरे प्रश्नों के उत्तर इसके पास,
हल करती तुरंत बार-बार।
हर एक पन्ने का नया अंदाज़,
मजबूर करता मुझे समझने को बार-बार॥
नया रंग नया ढंग,
मिलेगा भला ऐसा किस के पास।
मेरी किताब एक अनोठी किताब,
रहना चाहती हरदम मेरे पास॥