मैं और मेरा मोटापा अक्सर ये बातें करते हैं: हास्य कविता

मैं और मेरा मोटापा: हास्य कविता

मैं और मेरा मोटापा अक्सर ये बातें करते हैं: आज अस्वस्थ जीवनशैली के कारण उत्पन्न बीमारियों में से सबसे बड़ी बीमारी मोटापा है। यह बीमारी पूरी दुनिया में एक महामारी बन गई है। भारत में अनेक लोग मोटापा के शिकार हैं। मोटापे के कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। जब परेशानियां बढ़ने लगती हैं तो लोग मोटापा कम करने के लिए उपाय (motapa kaise kam kare) खोजने लगते हैं। कई बार उचित जानकारी नहीं हो पाने के कारण लोग अपना वजन घटा नहीं पाते हैं।

जब किसी व्यक्ति का शरीर का वजन, सामान्य से अधिक हो जाता तो उसे मोटापा कहते हैं। आप रोज जितनी कैलोरी भोजन के रूप में लेते हैं, जब आपका शरीर रोज उतनी खर्च नहीं कर पाता है, तो शरीर में अतिरिक्त कैलोरी फैट के रूप में जमा होने लगता है, जिससे शरीर का वजन बढ़ने लगता है।

मैं और मेरा मोटापा अक्सर ये बातें करते हैं…

तुम न होते तो कैसा होता
मैं साइज़ ज़ीरो कहलाता, मैं टूथपिक जैसे दिखता
मैं आइसक्रीम देखकर हैरान होता
मैं मोटों को देखकर कितना हँसता
तुम न होते तो ऐसा होता, तुम न होते तो वैसा होता

मैं और मेरा मोटापा अक्सर ये बातें करते हैं

ये रबड़ी है या चाँदनी ज़मीन पर उतरी हुई है
है गुलाबजामुन या पेट को खेलने के लिए गोलियाँ मिली है
ये पास्ता है या मेरी रसना की चाहत
पिज़्ज़ा है या चाँद का दर्शन
हवा का झोंका है, या भजीयों के तलने की महक
यह आलू वेफर्स की है सरसराहट, की तुमने चुपके से कुछ कहा है
यह सोचता हूँ मैं कबसे गुमसुम
जबकी मुझको भी यह खबर है
की तुम यहीं हो, यहीं कहीं हो
मगर यह दिल है की कह रहा है
की तुम नहीं हो, यहाँ नहीं हो।

मजबूर यह हालत मन में भी है तन में भी
डाएटिंग की एक रात इधर भी है उधर भी
करने को बहुत कुछ है मगर कैसे करें हम
कब तक यूहीं भूखे और वर्कआउट करते रहे हम
दिल कहता है दुनिया की हर एक मीठी चीज़ चख ले
दीवार जो हम दोनों में है आज गिरा दें
क्यूँ दिल में सुलगते रहें, लोगो को बता दें
हाँ हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है
अपने मोटापे से हमको मोहब्बत है।

Read actual lyrics here:

मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं

तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता

मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं

ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में है जानम, मेरे जिस्म-ओ-जां पिघलते

ये रात है या तुम्हारी जुल्फे खुली हुई है
है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी राते धुली हुई है
ये चाँद है, या तुम्हारा कंगन
सितारें हैं, या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है, या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों की है सरसराहट
कि तुम ने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
कि जब के, मुझको को भी ये खबर है
कि तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो
मगर ये दिल है के कह रहा है
तुम यहीं हो, यहीं कहीं हो

तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करनेवाले, तू जहाँ है मैं वहाँ हूँ
हमे मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते

मेरी साँस साँस महके, कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है, मेरा दिल है जैसे आँगन
हुई और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते

मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तनहाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहोत कुछ है मगर किस से कहें हम
कब तक यूँ ही खामोश रहें और सहें हम
दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दे
दीवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे
क्यों दिल में सुलगते रहें, लोगों को बता दे
हाँ हम को मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी

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