स्वयं दीपक बनकर, तुम रात भर जले।
मंजिल मिले या न मिले,
यह बड़ी बात है कि तुम पूरी हिम्मत से चले।।
बुझना या चूकना
बड़ी बात नहीं है।
बड़ी बात है जलना
मंजिल मिले या न मिले।
अहम बात है चलना
चलो, बुझो, पुनः चलो
यही जिन्दगी का नियम है।
अनवरत प्रयास ही उपलब्धि का यंत्र है
हजारों साल में एक बार
प्रकृति किसी हिमालय को जनती है
धरती के वक्ष पर
कोई भी ऊँची मीनार
कितना ही चाहो
रातों रात नहीं बनती है।
~ हिंदी शिक्षिका – रंजुला शर्मा St. Gregorios School, Gregorios Nagar, Sector 11, Dwarka, New Delhi
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