तमन्ना लुट गयी फिर भी तेरे दम से मोहब्बत है
मुबारक गैर को खुशियां मुझे गम से मोहब्बत है
न मिलता गम तो बरबादी के अफ़साने कहाँ जाते
अगर दुनिया चमन होती तो वीराने कहाँ जाते
चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई गैर तो निकला
अगर होते सभी अपने तो बेगाने कहाँ जाते
दुआएँ दो मोहब्बत हम ने मिट कर तुमको सिखला दी
न जलती शम्मा महफ़िल में तो परवाने कहाँ जाते
तुम्ही ने गम की दौलत दी बड़ा एहसान फ़रमाया
ज़माने भर के आगे हाथ फ़ैलाने कहाँ जाते