पानी बचाओ पर बाल-कविता: नहीं व्यर्थ बहाओ पानी

पानी बचाओ पर बाल-कविता: नहीं व्यर्थ बहाओ पानी

सदा हमें समझाए नानी,
नहीं व्यर्थ बहाओ पानी।
हुआ समाप्त अगर धरा से,
मिट जायेगी ये ज़िंदगानी।

नहीं उगेगा दाना-दुनका,
हो जायेंगे खेत वीरान।
उपजाऊ जो लगती धरती,
बन जायेगी रेगिस्तान।

हरी-भरी जहाँ होती धरती,
वहीं आते बादल उपकारी।
खूब गरजते, खूब चमकते,
और करते वर्षा भारी।

हरा-भरा रखो इस जग को,
वृक्ष तुम खूब लगाओ।
पानी है अनमोल रत्न,
तुम एक-एक बूँद बचाओ।

श्याम सुन्दर अग्रवाल

आपको श्याम सुन्दर अग्रवाल जी की यह कविता “नहीं व्यर्थ बहाओ पानी” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

Pisces Horoscope - मीन राशि

Pisces Weekly Horoscope November 2024: Astro Anupam V Kapil

Pisces Weekly Horoscope November 2024: Pisces is the last sign of the zodiac, which has …