नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी: कवि प्रदीप

नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी: कवि प्रदीप

नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी
तुमपे बड़ी ज़िम्मेदारी
घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना – 2
हर आँगन को फुलवारी
हम पे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी

तुम उस देश में जन्मी हो जिस देश में जन्मी थी सीता – 2
तुम उस देश की कन्या हो जिस देश में गूँज रही गीता
कभी भूल कर भी न लगाना – 2
जीवन में तुम चिनगारी

घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना
हर आँगन को फुलवारी
हम पे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी

ये न भूलना जहाँ जहाँ है फूल वहाँ हैं काँटे भी – 2
जहाँ जहाँ पर होते हैं तूफ़ान वहाँ सन्नाटे भी
तुम इस जग में हँस हँस जीना मत करना मन को भारी

घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना
हर आँगन को फुलवारी
हम पे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी

देखो कहीं भटक मत जान झूठे हास विलासों में – 2
करना ऐसे काम तुम्हारा नाम रहे इतिहासों में
सावधान रहना बहनो – 2
आ रही तुम्हारी भी बारी

घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना
हर आँगन को फुलवारी
(हम पे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी) – 2

~ कवि प्रदीप

फ़िल्म: तलाक Talaq (1958)
गायक / गायिका: आशा भोंसले
संगीतकार: सी. रामचंद्र
गीतकार: कवि प्रदीप
अदाकार: राजेंद्र कुमार, कामिनी कदम

A very beautiful song comparing the young ones to the buds which are going to bloom into colorful flowers if nurtured well. It renders a message to the children that they are looked upon by the whole world with expectations and therefore, a big responsibility lies on their shoulders to live up to them. Penned by the great lyricist Kavi Pradeep and composed by C. Ramachandra, this song has been sung by Asha and chorus for Kaamini Kadam and the child artists.

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