Gautam Buddha said that this world is a world of sorrows. Here Guru Nanak is saying the same. Except for few illusory moments of mirth, rest of the life is a struggle and frustration.
बूढ़ा बाप पड़ा बीमार
माँ की बेटे से तकरार
इस का रुठ गया है यार
नानक दुखिया सब संसार
गुंडा लेकर हुआ फरार
किस महिला का छिन गया हार
किसको कुचल गई है कार
जाँच कर रहा थानेदार
नानक दुखिया सब संसार
कहीं पे सूखा है इस बार
कहीं बाढ़ से हाहाकार
माथा पीट रहा फनकार
डिग्री चाट रहा बेकार
नानक दुखिया सब संसार
किस पर किसका अत्याचार
तू भी कर ले सोच–विचार
किसको हूआ रुस से प्यार
चिंतित अमरीकी सरकार
नानक दुखिया सब संसार
दुखी भक्त हैं दुखी पूजारी
पुरुष दुखी हैं, दुखिया नारी
सत्संग में गुंडा मौजूद
मंदिर में गोला–बारुद
गुंडे माँग रहे अधिकार
नानक दुखिया सब संसार
दफ्तर पर संकट है भारी
चिंतित है बाबू, अघिकारी
इसको रुला रही लाचारी
उसको रुला रही गद्दारी
दोनो मान चुके हैं हार
कौन करे किसका उपचार
नानक दुखिया सब संसार
∼ जैमिनी हरियाणवी
हास्य कवि जैमिनी हरियाणवी का जन्म हरियाणा में झज्जर ज़िले के बादली गांव में हुआ। उनका वास्तविक नाम देवकी नंदन जैमिनी था। हिंदी हास्य में उनका सशक्त योगदान रहा है।
दिल्ली में आजीविका और कविता दोनों ने करवट ली। इतिहास व राजनीति शास्त्र में एमए करने के बाद 1956 में वैश्य कॉलेज रोहतक से बीटी की। इसके बाद वे अध्यापन से जुड़े और दिल्ली के राजकीय विद्यालय में उप प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो गए। देश की छोटी-बड़ी पत्रिकाओं में असंख्य रचनाओं के प्रकाशन के साथ ही “साप्ताहिक हिंदुस्तान” तथा “धर्म युग” में विशेषकर प्रथम व्यंग्य गजल 1951 में हरियाणा तिलक में प्रकाशित हुई। उन्होंने एक समाचार पत्र में नियमित रूप से कई सालों तक “राग दरबारी” कॉलम भी लिखा। देश और विदेश में उन्होंने हजारों कवि सम्मेलन कविता पाठ करने के साथ ही आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से भी हास्य रस की कविताएं दर्शकों तक पहुंचाई। जैमिनी ने अनेक हिंदी तथा हरियाणवी फिल्मों में गीत लेखन भी किया। उन्हें उनकी कविताओं के लिए राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा हास्य रत्न की उपाधि दी गई। वहीं हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा गौरव सम्मान से नवाजा गया है। इसके अलावा भी अन्य संस्थानों ने उन्हें पुरस्कृत किया। हास्य रस के साथ ही उन्होंने बाल गीत, कहानियां, गीत-गजल पर 9 पुस्तके लिखी हैं। जैमिनी ने हरियाणवी को भी स्थापित करने में अहम योगदान दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अरुण जैमिनी में कविताओं के संस्कार भर देश को एक और कवि दिया। उनके बेटे अरुण जैमिनी हास्य रस के क्षेत्र में देश में आज एक बड़ा नाम है और पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए वह भी हरियाणवी भाषा की सेवा कर रहे हैं। जैमिनी हरियाणवी के दादा पंडित रिजकराम उर्दू के विख्यात शायर थे और पौत्र जैमिनी को कविताओं से प्यार हो गया। जैमिनी हरियाणवी के ही परिवार के सदस्य और कवि सम्मेलन रोहतकी के अनुसार, बचपन में भी वे दादा को खूब हंसा दिया करते थे और दादा अक्सर कहा करते थे कि एक डीं जैमिनी कविता के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाएंगे। उनको किसी ने कभी झल्लाते हुए नहीं देखा। जैमिनी हरियाणवी का जन्म जन्माष्टमी की रात आकाश में चन्दोदय हुआ तभी तो दादा ने उनका नाम रखा था। वास्तविक नाम देवकी नन्दन जैमिनी था। इनके पिता पंडित हरकिशोर जैमिनी से ज्यादा प्रभाव इन पर दादा पंडित रिजकराम पर पड़ा। उस समय किसी को आभास भी नहीं होगा जो तोतली भाषा मे अपने दादा को हंसाया करते थे वो एक दिन दुनियाभर को हसाएँगे।