नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है – शैलेन्द्र

नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है: शैलेन्द्र

र: (नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है) –२
आ: मुट्ठी में है तक़दीर हमारी
को: मुट्ठी में है तक़दीर हमारी
आ: हम ने क़िस्मत को बस में किया है
को: हम ने क़िस्मत को बस में किया है

र: (भोली भली मतवाली आँखों में क्या है) –२
आ: आँखोन में झूमे उम्मीदों की दिवाली
को: आँखोन में झूमें उम्मीदों की दिवाली
आ: आनेवाली दुनिया का सपना सजा है
को: आनेवाली दुनिया का सपना सजा है…

र: (भीख में जो मोती मिले लोगे या न लोगे
ज़िंदगी के आँसूओं का बोलो क्या करोगे) –२
आ: भीख में जो मोती मिले तो भी हम ना लेंगे
को: भीख में जो मोती मिले तो भी हम ना लेंगे
आ: ज़िंदगी के आँसूओं की माला पहनेंगे
को: ज़िंदगी के आँसूओं की माला पहनेंगे
आ: मुश्किलों से लड़ते भिड़ते जीने में मज़ा है
को: मुश्किलों से लड़ते भिड़ते जीने में मज़ा है…

र: (हम से न छुपाओ बच्चो हमें भी बताओ
आनेवाले दुनिया कैसी होगी समझाओ) –२
आ: आनेवाले दुनिया में सब के सर पे ताज होगा
को: आनेवाले दुनिया में सब के सर पे ताज होगा
आ: न भूखों की भीड़ होगी न दुखों का राज होगा
को: न भूखों की भीड़ होगी न दुक्कों का राज होगा
आ: बदलेगा ज़मना ये सितारों पे लिखा है
को: बदलेगा ज़मना ये सितारों पे लिखा है…

∼ शैलेन्द्र

चित्रपट : बूट पोलिश (१९५४)
निर्देशक : प्रकाश अरोरा
निर्माता : राज कपूर
लेखक : भानु प्रताप
गीतकार : शैलेन्द्र
संगीतकार : शंकर जयकिशन
गायक : मन्ना डे, आशा भोंसले
सितारे : पृथ्वीराज कपूर, राज कपूर, कुमारी नाज़, रतन कुमार, डेविड अब्राहम, चाँद बुर्के, भूपेंद्र कपूर, शैलेन्द्र, मोहनबाली, निस्सार, भूदो अडवाणी, प्रभु अरोरा

Boot Polish is a 1954 Hindi film directed by Prakash Arora and produced by Raj Kapoor. It won Best Film at the Filmfare Awards.

Story Line

Belu (Baby Naaz) and Bhola (Ratan Kumar) are left to the care of their wicked aunt Kamla (Chand Burque) when their mother dies. She forces them to beg in the streets and grabs all the money they get.

A bootlegger John Chacha (David) teaches them to lead a life of self-respect and work for a living instead of begging. They scrimp and save to buy a shoe-polish kit and start shining shoes. Kamla finds out about what they have been doing behind her back, beats them and throws them out of the house.

John Chacha gives them shelter, but then he is arrested and the kids are left to fend for themselves. When it rains and people don’t get their shoes polished any more, the children are in danger of starving. But Bhola believes that he will never beg anymore but on one rainy night, a man tosses him a coin and he rejects it, but Belu takes it as she is very hungry.

Bhola slaps Belu for that and she drops the coin. Lastly, the police comes and is taking children with them. Belu rushes in an unknown train, but Bhola is arrested. In the train, Belu is adopted by a rich family and she mopes for her brother.

The climax is when Belu becomes rich and is now giving coins to the beggars, Bhola also comes to her. Humiliated, Bhola runs away while his sister screams for him. But, at last he returns and is reunited with his sister.

And then the rich family adopt both of the siblings and live happily ever after.

Moral: Begging gives the beggar little, and takes more from him. (This means that a beggar loses all his/her selfrespect by begging).

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