चुप-चुप-चुप।
वहां पर लड्डू पेड़े खाऊँगी मैं,
छुप-छुप-छुप।
और अगर आवाज हो गई,
नानी जी के कान पड़ गई,
और वो बोली कौन है वहां?
मैं बोलूंगी चूहा, मैं बोलूंगी चूहा।
वहां पर लड्डू पेड़े खाऊँगी मैं,
छुप-छुप-छुप।
और अगर आवाज हो गई,
नानी जी के कान पड़ गई,
और वो बोली कौन है वहां?
मैं बोलूंगी चूहा, मैं बोलूंगी चूहा।
National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …