New Year Hindi Poem नव वर्ष के स्वागत में

नव वर्ष के स्वागत में: रंजना सोनी

नव वर्ष के स्वागत में: रंजना सोनी – नव वर्ष की प्रणाली ब्रह्माण्ड पर आधारित होती है, यह तब शुरु होता है जब सूर्य या चंद्रमा मेष के पहले बिंदु में प्रवेश करते हैं। आज, चंद्रमा मेष राशि में प्रवेश कर चुका है और दिन बाद अर्थात 13 अप्रैल को सूरज मेष राशि के पहले बिंदु में प्रवेश करेगा, जिस दिन हम बैसाखी मनाते हैं, यह भी एक नए साल का दिन है।

इस प्रकार में भारत के आधे भाग में नव वर्ष चंद्रमा के आधार पर मनाया जाता है और आधे भाग में सूर्य के आधार परमनाया जाता है, इनमें कोई समानता नहीं है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनेअनुसार नव वर्ष मनाने के लिए स्वतंत्र है।पंजाब (ਵਿਸਾਖੀ – Vaisakhi), बंगाल ( পয়লা বৈশাখ – Poila/Pohela Baishakh) , उड़ीसा (Pana Sankranti), तमिलनाडु (புத்தாண்டு, Puthandu), असम (বিহু – Bihu) और केरल राज्यों में नव वर्ष सौर कैलेण्डर के अनुसार मनाया जाता है इस दिन बैसाखी होती है। कर्नाटक (ಯುಗಾದಿ – Yugadi), महाराष्ट्र (गुढीपाडवा – Gudi Padwa), आंध्र प्रदेश (ఉగాది – Ugadi) और कई अन्य भारतीय राज्यों में आज के दिन उत्सव मनाते हैं, अर्थात् चंद्र कैलेंडर के अनुसार। दी आर्ट ऑफ़ लिविंग में, हम हर दिन उत्सव मनाते हैं।

प्राचीन काल में एक समय था जब पूरी दुनिया में हर व्यक्ति एक ही कैलेंडर मानता था; चंद्र कैलेंडर, आज भी, तुर्की और ईरान में, लोग चंद्र कैलेंडर ही मानते हैं; इसके अनुसार मार्च से नए वर्ष की शुरुआत होती है परंतु लंदन के राजा किंग जॉर्ज, जनवरी से नव वर्ष शुरू करना चाहते थे क्योंकि वह उस माह में पैदा हुए थे। यह उनका नव वर्ष था, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन उसने पूरे ब्रिटिश साम्राज्य पर यह नव वर्ष लागू कर दिया ! यह घटना आठवीं या नौवीं शताब्दी में किसी समय हुई थी, लेकिन लोगों ने अप्रैल में नए साल का जश्न मनाना बंद नहीं किया तो किंग जॉर्ज ने इसे अप्रैल फुल डे कहा। उन्होंने कहा कि अप्रैल में नव वर्ष मनाने वाले लोग मूर्ख होते हैं, और इसी तरह अप्रैल 1 को फूल्स डे के रूप में जाना जाने लगा।

नव वर्ष के स्वागत में: रंजना सोनी

नव वर्ष आने वाला है
रजनीगंधा की बेलों के
झोंके के साथ
निखर रही हैं वादियाँ
पिघल रहा बर्फ़ भरा पहाड़ भी
बीते हुए लम्हों को भूल
धुंध में कोहरे में
किरणों में कण-कण में
आ गई फिर से नई जान है
नव वर्ष के स्वागत में

भोर बसा उजला
धुला-धुला-सा
तुलसी के चौरे पर
अर्घ्य पानी देती मैं
सभी के लिए
नव वर्ष में
उन्नति शांति
और प्यार में डूबे
जीवन के लिए।

सुबह सवेरे
चिडियों के गीत चहक उठे हैं
आने वाले वर्ष में बिखराए
बाजरे के दानों के लिए
नव सृजन
नव संकल्प की भूमिका आई
किसलय नए फूटे
नई-सी सुगंध
नव कलेवर पर
लिखे मौसम नए रंग
नव वर्ष के स्वागत में।

∼ “नव वर्ष के स्वागत में” hindi poem by ‘रंजना सोनी’

रंजना सोनी के बारे में:

जन्म: सरदलपट्टी, सीतामढ़ी, बिहार
शिक्षा: स्नातकोतर, समाज-शास्त्र, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया

कविता और कहानी पढ़ना-लिखना मन को विभोर करता है। विभिन्न देशों की सभ्यता संस्कृति और धर्मो की जानकारी में अभिरूचि, संगीत सुनना, भ्रमण करना और जलरंगो का सानिध्य भाता है। तरह-तरह के व्यंजन बनाना अच्छा लगता है। लोगों से मिलना तथा बच्चों के साथ कुछ समय बिताकर बचपन में झाँकना भी प्रिय है।

सम्प्रति: ट्रांधाईम नार्वे, में स्वतंत्र लेखन

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