बंधु इस नए साल में…
फूलों की
खुशबू से भाती हो पुरवाई
ऊसर खेतों में भी ले
फ़सलें अंगड़ाई
चहके हर बनफूल
बंधु इस नए साल में…
होंठ-होंठ पर
राग-रंग की मुसकानें हों
उलझे नहीं समस्या के
ताने-बाने हों
दुख: जाए पथ भूल
बंधु इस नए साल में…
हर चूल्हा में
आग छान पर वरद धुआँ हो
लहालोट उम्मीदों संग
गुनगुनी हवा हो
श्रम को गड़े न शूल
बंधु इस नए साल में…
हर घर के
खूँटे से बँधे दुधारू गाएँ
बच्चों की किलकारी सुन
पुलकित हो माँएँ
रोपें नहीं बबूल
बंधु इस नए साल में…
सपने में
आनेवाले कल की आँखों में
हो उड़ान की भाषा चाहत की
पांखों मे
हो दुर्दिन का ठूल
बंधु इस नए साल में…
∼ नचिकेता
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