नए वर्ष का हो अभिनंदन: गौरव ग्रोवर – प्राचीन रोमन कैलेंडर में 10 महीने और 304 दिन होते थे और वसंत ऋतू के प्रारंभ में नया साल मनाया जाता था। इस परंपरा को रोम के संस्थापक रोमुलस द्वारा आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था। 1713 ईसा पूर्व के दौरान, रोम के दूसरे राजा नुमा पोम्पिलियस ने रोमन कैलेंडर में दो अन्य महीनों को जोड़ा, जिन्हें जनवरी और फरवरी नाम दिया गया। लेकिन उस समय भी रोमन कैलेंडर का सूर्य के साथ सही तालमेल में बैठा। फिर 46 ईसा पूर्व सम्राट ‘सीज़र’ ने अपने समय के प्रमुख प्रमुख खगोलविदों और गणितज्ञों से परामर्श करके इस मामले को सुलझाने का फैसला किया। इसके बाद सभी विशेषज्ञों द्वारा विचारविमर्श के बाद सीज़र द्वारा ‘जूलियन कैलेंडर’ लागू किया गया, जो आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर के समान था। जिसे आज अंग्रेजी कैलंडर के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट सीज़र ने 1 जनवरी को वर्ष के पहले दिन के रूप में स्थापित किया, जिसके बाद रोम के लोगों ने एक दूसरे को उपहार दिए और नए साल का जश्न मनाने लगे।
नए वर्ष का हो अभिनंदन: गौरव ग्रोवर
नए वर्ष का हो अभिनंदन
महक उठे हर मन का चंदन
झिलमिल आशा का स्पंदन
बांधे इक नूतन अनुबंधन…
आए वर्ष दो हज़ार अठाहरा
लेकर खुशियों की सौगात
मिट जाए दुखदाई क्रंदन
नए वर्ष का हो अभिनंदन…
बैर भाव मिट जाएं सारे
स्नेहिल पुष्प खिले फिर प्यारे
हर घर में छाए निरानंदन
नए वर्ष का हो अभिनंदन…
उन्नति पथ पर बढ़े संसार
मानवता का हो विस्तार
सीमाओं का रहे न बंधन
नए वर्ष का हो अभिनंदन…
∼ “नए वर्ष का हो अभिनंदन” Hindi poem by ‘गौरव ग्रोवर‘
नया साल कैसे मनाते हैं?
हर कोई आने वाले नव वर्ष में अपने प्रियेजानो के सुख, स्वास्थ्य और भाग्य के लिए प्रार्थना करते हैं। बच्चे समेत सभी उम्र के लोग नए साल पर पार्टी करते हैं और नए साल का स्वागत करते हैं। नए साल पर नए नए संकल्प लेते हैं। नए साल के लिए दुनिया भर के हर घर में अलग-अलग रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं। प्रत्येक लोग अपनी संस्कृति के अनुसार इस दिन को अपने अनोखे तरीके से मानते हैं। कुछ लोग धार्मिक स्थलों पर जाने की प्लानिंग करते हैं, तो कुछ लोग घूमने के लिए देश-विदेशों की प्लानिंग करते हैं। वहीं कुछ लोग अपने प्रियजनों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने की योजना बनाते हैं। जबकि कुछ लोग अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं।
Awesome poem