खौफ हर ओर है
हर नज़र पे धुआं छा गया
पल भर में जाने क्या खो गया
आसमां सर्द है
आहें भी सर्द है
तन से साया जुदा हो गया
पल भर में जाने क्या खो गया
सांस रुक सी गयी
जिस्म छिल सा गया
टूटे ख़्वाबों के मंज़र पे तेरा जहाँ चल दिया
नूर-ए-खुदा
तू कहाँ छुपा है हमें ये बता
यूँ ना हमसे नज़रें फिरा
नज़रें करम फरमा ही दे…
दीन-ओ-धरम को जगा ही दे
जलती हुई तन्हाईयाँ
रूठी हुई परछाईयाँ
कैसे उड़ी ये हवा
छाया ये कैसा समां
रूह जम सी गयी
वक़्त थम सा गया
टूटे ख़्वाबों…
नूर…
उजड़े से लम्हों को आस तेरी
ज़ख्म दिलों को है प्यास तेरी
हर धड़कन को तलाश तेरी
तेरा मिलता नहीं है पता
खाली आँखें खुद से सवाल करे
अमनों की चीख बेहाल करे
बहता लहू फ़रियाद करे
तेरा मिटता चला है निशाँ
रूह जम सी गयी
वक़्त थम सा गया
टूटे…
∼ निरंजन येंगर
चित्रपट : माई नाम इज़ खान (2010)
निर्माता : हीरू जौहर, गौरी खान
निर्देशक : करन जौहर
लेखक : शिबानी बथिजा
गीतकार : निरंजन येंगर
संगीतकार : शंकर – एहसान – लॉय
गायक : अदनान समी, शंकर महादेवन, श्रेया घोषाल
सितारे : शाहरुख़ खान, काजोल