गमले: ओमप्रकाश बजाज
मिटटी के गमले कुम्हार बनाते!
टोकरे में रख कर बेचने आते,
गली-गली आवाज़ लगाते!
यथा स्थान फिर उन्हें सजाते!
गमलो को भी समय-समय पर,
साफ़ करते और धोते जाते!
कई लोग खली मर्तबान, बोतलें,
डिब्बे भी इस काम में लाते!
एक जैसे गमलो में खिले फूल,
घर की शोभा खूब बढ़ाते!
~ ओमप्रकाश बजाज
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