मित्रता: ओमप्रकाश बजाज
आश्वस्त होकर मित्र बनाना!
मित्रता को गंभीरता से लेना,
इसे खेल या मजाक न बनाना!
गिने-चुने पर सच्चे मित्र ही बनें,
ऐरे-गैरों से मात्र गिनती न बढ़ाना!
एक बार जिसे मित्र बनाना,
उससे जीवा भर मित्रता निभाना!
वक़्त पड़ने पर कष्ट आने पर,
मित्र को यथासंभव सहायता पहुचना!
अच्छे मित्र अनमोल होते है,
यह बात न तुम कभी भूलना!
~ ओमप्रकाश बजाज
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