फर्नीचर: ओमप्रकाश बजाज
सोने, उठने-बैठने, रखने को कुछ तो होता है।
आजकल सोफा भी जरूरी है, अलमारी भी,
बच्चों के पढ़ने के लिए एकाध मेज-कुर्सी भी।
पहले लोग बढ़ई को बुला कर लकड़ी लाकर,
घर में ही फर्नीचर पसंद और नाप का बनवाते थे।
फैशन से अधिक महत्व मजबूती को देते थे,
ऐसे सामान पीढ़ियों तक चलते रहते थे।
अब सजावट दिखावे का जमाना है,
दहेज में भी नए डिजाइन का फर्नीचर आना है।
अब फर्नीचर की बड़ी-बड़ी दुकानें होती हैं,
जो लच्छेदार बातों से ग्राहकों का मन मोह लेती हैं।
~ ओमप्रकाश बजाज
यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!