गुब्बारे: ओमप्रकाश बजाज
भर कर हवा फूल जाते है, मानो नवजीवन पाते है!
अगर हाइड्रोजन भर देते, ऊँचाई को तब छू लेते!
मायूसी को मारे डंडा, गुस्से को कर देते ठंडा!
लगें हमें खुशियों के घोतक, आओ हाथ बढ़ाए इन तक!
आकर्षक, मनमोहक, प्यारे, धूम मचाते-से गुब्बारे!
~ ओमप्रकाश बजाज
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