यह भी जानो: ओमप्रकाश बजाज
दिन-दीन और मेला-मैला, सुखी-सूखी, बहु-बहू बन जाता!
बलि-बली, अम्ल-अमल और अवधि-अवधी हो जाता!
देहात को देहांत, अनिल को अनल उपकार को अपकार मात्राएं बनाती!
मात्रा के हेर-फेर से ही तो परिणाम-परिमाण बन जाता!
इस्त्री शब्द स्त्री बन कर, लिखने वालो का मुंह चिढ़ाता!
ऐसी अन्य गलतियों का भी, लिखने में सदा रखो ध्यान!
इस हेतु तुम ध्यानपूर्वक करो, मात्राओं की सही पहचान!
~ ओमप्रकाश बजाज
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