ओमप्रकाश बजाज की बाल-कविताओं का संग्रह

बाल-कविताओं का संग्रह: ओमप्रकाश बजाज (भाग 2)

खिचड़ी: ओमप्रकाश बजाज

चावल-दाल मिला कर बनती,

खिचड़ी घर में सब को भाती।

रोगी को डॉक्टर खाने को कहते,

हल्की गिजा वे इसे मानते।

घी और मसालों का छौंक लगा कर,

छोटे-बड़े सब शौक से खाते।

बीरबल की खिचड़ी पकाना कहलाती,

जब किसी काम में अधिक देर हो जाती।

घी खिचड़ी में ही तो रहा, तब कहा जाता,

जब घर का पैसा घर में ही रह जाता।

जब किसी विचार पर वाद-विवाद चलता,

खिचड़ी पकाना वह भी कहलाता।

आयु बढ़ाने पर कुछ बाल सफ़ेद हो जाते,

तो मिले-जुले बाल खिचड़ी बाल कहलाते।

~ ओमप्रकाश बजाज

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