ओमप्रकाश बजाज की बाल-कविताओं का संग्रह

बाल-कविताओं का संग्रह: ओमप्रकाश बजाज (भाग 2)

घृणा: ओमप्रकाश बजाज

घृणा न करो किसी से
ईर्ष्या का जहर न पालो,
गलती हो जाए किसी से
तो क्षमा उसे कर डालो।

बुरे विचार रखने से
मन अपना मैला होता है,
बुरी भावनाएं जन्म लेती हैं
चरित्र अपना दूषित होता है।

बुरा किसी का सोचोगे
तो अपना भी भला न होगा,
कष्ट किसी को दोगे
तो क्लेश तुम्हें भी होगा।

~ ओमप्रकाश बजाज

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