हमारा संसार: ओमप्रकाश बजाज
कितना अद्भुत हमारा यह संसार।
नदियों का कहीं जाल बिछा है,
कहीं बर्फ से ढंके पहाड़।
महानगर और नगर यहां हैं,
गांवो कस्बों का विस्तार।
बाग़-बगीचे वन और उपवन,
रंग बिरंगी पुष्प बहार।
सूर्य-चन्द्रमा नील गगन भी,
रिमझिम वर्षा की पड़े फुहार।
समय-समय पर बदलते मौसम,
लाते फलों सब्जियों के उपहार।
इस संसार की सुरक्षा हेतु,
आओ हम भी रहें तैयार।