पानी की कमी – राजकुमार जैन ‘राजन’

fSave Waterपानी की है कमी इस कदर,
सुख गयी हैं झीलें,
दरक गयी उपजाऊ भूमि,
ताल रहे न गिले।

नदियों, कुओं, तालाबों से,
रूठ गया है पानी,
कहते हैं कुछ समझदार,
ये है अपनी नादानी।

पर्यावरण बिगाड़ा हमने,
हरे पेड़ काटे हैं,
पंछी का दाना छिना है,
दुःख सबको बांटें हैं।

अभी वक़्त है, वर्षा के,
जल को चलो सहेजें,
खेतों में लहरायें फसलें,
इतना पानी भेजें।

∼ राजकुमार जैन ‘राजन’

Check Also

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …