शोर 1972 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका लेखन, निर्देशन और निर्माण मनोज कुमार ने किया है। इसमें वह स्वयं जया भादुड़ी के साथ मुख्य भूमिका में हैं।
शंकर (मनोज कुमार) एक दुर्घटना में अपनी पत्नी (नन्दा) को खो देता है। वह अपने बेटे को बचाते हुए मर जाती है। दुर्घटना के कारण, दीपक अपनी आवाज खो देता है। शंकर अपने बेटे की आवाज़ को फिर से सुनने के लिए उत्सुक रहता है; हालांकि, डॉक्टरों का सुझाव है कि दीपक को अपनी आवाज वापस पाने के लिए एक सर्जरी करानी पड़ेगी। शंकर सर्जरी के लिए पैसे इकट्ठा करने की भरसक कोशिश करता है।
शंकर की माँ (कामिनी कौशल), बहन, खान बादशाह (प्रेमनाथ), रानी उर्फ रात की रानी (जया भादुड़ी) सहायता प्रदान करते हैं। अंत में वह थोड़ी मशक्कत के बाद सर्जरी के लिए पर्याप्त पैसा इकट्ठा कर पाता है। दीपक सफलतापूर्वक सर्जरी से गुजरता है। शंकर दीपक से मिलने का इच्छुक रहता है; हालांकि, डॉक्टर उसे अगले दिन दीपक से मिलने की सलाह देते हैं ताकि मरीज को थकान ना हो। शंकर काम पर जाता है; हालांकि, मशीनों के साथ काम करते समय ठीक से ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता है और अंततः घायल हो जाता है। चोट के कारण उसे अपनी सुनने की शक्ति खोनी पड़ती है। पिता अब अपने बेटे की आवाज को सुन नहीं पाता है जबकि वह उसे प्राप्त कर चुका है।
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा: फिल्म शोर का सुपर हिट गीत
जिसमें मिला दो लगे उस जैसा
इस दुनिया में जीनेवाले ऐसे भी हैं जीते
रूखी-सुखी खाते हैं और ठंडा पानी पीते
तेरे एक ही घूँट में मिलता जन्नत का आराम
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
भूखे की भूख और प्यास जैसा
गंगा से जब मिले तो बनता गंगाजल तू पावन
बादल से तू मिले तो रिमझिम बरसे सावन
सावन आया सावन आया रिमझिम बरसे पानी
आग ओढ़कर आग पहनकर, पिघली जाए जवानी
कहीं पे देखो छत टपकती, जीना हुआ हराम
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
दुनिया बनाने वाले रब जैसा
वैसे तो हर रंग में तेरा जलवा रंग जमाए
जब तू फिरे उम्मीदों पर तेरा रंग समझ ना आए
कली खिले तो झट आ जाए पतझड़ का पैगाम
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
सौ साल जीने की उम्मीदों जैसा
फिल्म: शोर (1972)
कलाकार: मनोज कुमार, जया भादुड़ी
गीतकार: इन्द्रजीत सिंह तुलसी
गायक: लता, मुकेश
संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल