पन्ना दाई - सत्य नारायण गोयंका

पन्ना दाई: सत्य नारायण गोयनका की वीर रस कविता

Panna Dhai (also spelled Panna Dai “पन्ना दाई“) was a 16th-century nursemaid to Udai Singh II, the fourth son of Maharana Sangram Singh (12 April 1484 – 17 March 1527). Her name, Panna means emerald, and dai means a nurse in Hindi language. She had been given charge of young Udai Singh, breastfeeding him virtually from his birth in 1522, along with her own son Chandan (also known as Moti), who was of similar age and Udai’s playmate. When Udai Singh was attacked by his uncle Bhanvir, Panna Dhai sacrificed the life of her own son Chandan in order to save the life of Udai Singh.

पन्ना दाई के बलिदान पर वीर रस कविता: सत्य नारायण गोयनका

चल पड़ा दुष्ट बनवीर क्रूर, जैसे कलयुग का कंस चला
राणा सांगा के, कुम्भा के, कुल को करने निर्वश चला

उस ओर महल में पन्ना के कानों में ऐसी भनक पड़ी
वह भीत मृगी सी सिहर उठी, क्या करे नहीं कुछ समझ पड़ी

तत्क्षण मन में संकल्प उठा, बिजली चमकी काले घन पर
स्वामी के हित में बलि दूंगी, अपने प्राणों से भी बढ़ कर

धन्ना नाई की कुंडी में, झटपट राणा को सुला दिया
ऊपर झूठे पत्तल रख कर, यों छिपा महल से पार किया

फिर अपने नन्हें­मुन्ने को, झट गुदड़ी में से उठा लिया
राजसी वसन­भूषण पहना, फौरन पलंग पर लिटा दिया

इतने में ही सुन पड़ी गरज, है उदय कहां, युवराज कहां
शोणित प्यासी तलवार लिये, देखा कातिल था खड़ा वहां

पन्ना सहमी, दिल झिझक उठा, फिर मन को कर पत्थर कठोर
सोया प्राणों­का­प्राण जहां, दिखला दी उंगली उसी ओर

छिन में बिजली­सी कड़क उठी, जालिम की ऊंची खड्ग उठी
मां­मां मां­मां की चीख उठी, नन्हीं सी काया तड़प उठी

शोणित से सनी सिसक निकली, लोहू पी नागन शांत हुई
इक नन्हा जीवन­दीप बुझा, इक गाथा करुण दुखांत हुई

जबसे धरती पर मां जनमी, जब से मां ने बेटे जनमे
ऐसी मिसाल कुर्बानी की, देखी न गई जन­जीवन में

तू पुण्यमयी, तू धर्ममयी, तू त्याग­तपस्या की देवी
धरती के सब हीरे­पन्ने, तुझ पर वारें पन्ना देवी

तू भारत की सच्ची नारी, बलिदान चढ़ाना सिखा गयी
तू स्वामिधर्म पर, देशधर्म पर, हृदय लुटाना सिखा गयी

~ सत्य नारायण गोयंका

Satya Narayan Goenka

Satya Narayan Goenka, commonly known as S.N. Goenka, was a Burmese-Indian teacher of Vipassana meditation. Born in Burma to a rich Indian family, he moved to India in 1969 and started teaching meditation. His teaching was notable for emphasizing that the Buddha‘s path to liberation was non-sectarian, universal, and scientific in character. He became an influential teacher and played an important role in establishing non-commercial Vipassana meditation centers globally. He was awarded the Padma Bhushan by the Government of India in 2012, an award given for distinguished service of high order.

Pannadhai | Historical Hindi Film

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