चुपके से आकर कहे परीक्षा,
घबराने से गायब होती
याद की थी जो बातें शिक्षा।
याद रहा है जितना तुम को
लिख दो उस को कहे परीक्षा,
सरल-सहज पहले लिखना
कानों में यह देती शिक्षा।
जो भी लिखना, सुंदर लिखना
सुंदरता की देती शिक्षा,
जितना पूछे, उतना लिखना
कह देती यह खूब परीक्षा।
~ ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
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