मार्ग में आकुल–अधीरातुर बटोही यों पुकारा
कौन सा पथ है?
‘महाजन जिस ओर जाएं’ – शास्त्र हुँकारा
‘अंतरात्मा ले चले जिस ओर’ – बोला न्याय पंडित
‘साथ आओ सर्व–साधारण जनों के’ – क्रांति वाणी।
पर महाजन–मार्ग–गमनोचित न संबल है‚ न रथ है‚
अन्तरात्मा अनिश्चय–संशय–ग्रसित‚
क्रांति–गति–अनुसरण–योग्या है न पद सामर्थ्य।
कौन सा पथ है?
मार्ग में आकुल–अधीरातुर बटोही यों पुकारा
कौन सा पथ है?