फिर आया है नया साल: मानोशी चटर्जी – ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, साल में 12 महीने होते हैं और हर साल 1 जनवरी को नए साल के पहले दिन के रूप में चुना गया है। इसलिए पूरी दुनिया में 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है। नए साल की तैयारियां एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है। स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान और ऑफिस समेत सभी जगहों पर नए साल के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नया साल एक ऐसा त्योहार है, जिसे हर धर्म और जाति के लोग बिना भेदभाव के मनाते हैं। दुनिया भर में लोग एक महिना पहले ही नए साल के संकल्पों और नए साल की तैयारियों की योजना बनाना शुरू कर देते हैं।
फिर आया है नया साल: मानोशी चटर्जी
सर्द रातों की एक हवा जागी
और बर्फ़ की चादर ओढ़
सुबह के दरवाज़े पर
दस्तक दी उसने
उनींदी आँखों से
सुबह की अंगड़ाई में
भीगी ज़मीन से ज्यों
फूटा एक नया कोपल
नए जीवन और नई उमंग
नई खुशियों के संग
दफ़ना कर कई काली रातों को
झिलमिलाते किरनों में भीगता
नई आशाओं की छाँव में
नए सपनों का संसार बसाने
बर्फ़ीली रात की अंगड़ाई के साथ
बसंत के आने की उम्मीद लिए
आज सब पीछे छोड़
चला वो अपनाने नए आकाश को
नए सुबह की नई धूप में
नई आशाओं की नई किरन के संग
आज फिर आया है नया साल
पीछे छोड़ जाने को परछाइयाँ
∼ “फिर आया है नया साल” Hindi poem by ‘मानोशी चटर्जी‘
नए साल का जश्न कैसे मनाएं?
कई देश 31 दिसंबर की शाम से 1 जनवरी तक नए साल का जश्न मनाते हैं। कई लोग पूरी रात पटाखे फोड़ते हैं और खूब मस्ती करते हैं। कई देशों में नए साल के लिए पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। ओस्ट्रेलिया, हंगरी, क्यूबा और पुर्तगाल जैसे कुछ देशों में सूअर का मांस परवारिक व्यंजन के रूप में बनाया जाता है। इनका मानना है कि सूअर प्रगति और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। स्वीडन और नॉर्वे जैसे कई स्थानों पर नए साल की पूर्व संध्या पर चावल का हलवा बनाया जाता है। जबकि नीदरलैंड, ग्रीस, मैक्सिको आदि में नए साल के दौरान केक और पेस्ट्री बनाई जाती है। इस तरह कई देश अपने अपने ट्रेडिशन के हिसाब से व्यंजन बनाते हैं।